अन्ना (बदला हुआ नाम) रोमानिया से पढ़ाई का इरादा ले
कर लंदन आई थी. आँखों में बड़े-बड़े सपने थे, लेकिन लगभग खाली थी.
यूनिवर्सिटी
में दाखिला लेने से पहले उनके लिए पैसे कमाने ज़रूरी थे. इरादे पक्के थे,
इसलिए उन्होंने वेट्रेसिंग, साफ़-सफ़ाई करने वाली से लेकर मैथ के ट्यूटर तक
का काम किया.
लेकिन फिर मार्च 2011 में एक दिन उन्हें ए
क सड़क से
अगवा कर लिया गया. अपहरणकर्ता उन्हें आयरलैंड ले गए और फिर अगले 9 महीने तक
अन्ना ने जो कुछ झेला वो किसी नर्क से कम नहीं था.
अन्ना बस अपने
घर पहुँचने ही वाली थी. वो लंच करने के लिए घर लौट रहीं थी और फिर कुछ आराम
करने के बाद साफ़-सफ़ाई करने के लिए उन्हें अगले काम पर जाना था. उन्होंने
हैडफ़ोन लगाए थे और बेयोन्से का गाना सुन रही थीं. कमरे का दरवाज़ा खोलने
के लिए वो पर्
स से चाबियां निकालने ही जा रही थी कि तभी पीछे से किसी ने
उनकी गर्दन पकड़ी और मुंह बंद करते हुए घसीटते हुए लाल रंग की कार में धकेल
दिया.
अगवा करने वाले तीन लोग थे- दो पुरुष और एक महिला. वो अन्ना
को तमाचे मार रहे थे और रोमानिया की ज़ुबान में उसे धमकियां दे रहे थे.
अपहरणकर्ताओं ने अन्
ना को रोमानिया की ज़ुबान में धमकी दी, "चीखो नहीं,
चुपचाप रहो और जो कहा जाए वो करो, वरना रोमानिया में तुम्हारे परिवार को
मार दिया जाएगा."
अन्ना बताती हैं, "मुझे नहीं पता था कि क्या हो रहा है और वे मुझे कहाँ
लेकर जा रहे हैं. मेरे मन में तमाम ख़याल चल रहे थे, कहीं वो अंग बेचने
वाला गिरोह तो नहीं है या मुझे देह व्यापार में तो नहीं धकेल दिया जाएगा.
या फिर कहीं वो मेरी हत्या तो नहीं कर देंगे. भगवान जाने क्या होगा?"
वे
अन्ना के पर्स की तलाशी ले रहे थे. उन्होंने
अन्ना का फ़ोन भी खंगाला और
कॉन्टैक्ट लिस्ट के अलावा फ़ेसबुक फ्रेंड्स तक सब कुछ देख डाला. फिर
उन्होंने अन्ना का पासपोर्ट भी ले लिया.
अन्ना को पता था कि कार से भाग निकलने का कोई रास्ता नहीं था, लेकिन जब
वो एयरपोर्ट पर पहुँचे तो उसके साथ सिर्फ़ एक ही शख्स रह गया था, उसे लगा
कि क्या यहाँ पर बचने का कोई मौका है और क्या वो एयरपोर्ट के स्टाफ़ से मदद
की गुहार लगा सकती है?
अन्ना कहती हैं, "जब आप बुरी तरह डरे हुए हो
तो चिल्लाना भी मुश्किल होता है. उनके पास मेरे कागज थे, वो जानते थे कि
मेरी माँ कहाँ हैं, वो मेरे बारे में सब कुछ जा
नते थे."
चेक-इन डेस्क
पर वो रो रही थी और उसका चेहरा लाल था, लेकिन काउंटर पर खड़ी महिला
कर्मचारी ने शायद इस पर ध्यान नहीं दिया. जब अन्ना के साथ चल रहे व्यक्ति
ने उनके पासपोर्ट दिए, वो (महिला कर्मचारी) मुस्कुराई और उन्हें बोर्डिंग
पास सौंप दिए.
अपहरणकर्ता ने ऐसे दिखाया कि जैसे वो पति-पत्नी हों और
फिर विमान में सबसे पीछे की सीट पर जाकर बैठ गए. उस शख्स ने अन्ना को धमकी
दी कि चीखे-चिल्लाए नहीं वर्ना वो उसे मार देगा.
अन्ना ने विमान के कैप्टन का अनाउंसमेंट सुना कि विमान आयरलैंड में एक
एयरपोर्ट के लिए उड़ रहा है- अन्ना ने उस जगह के बारे में पहले कभी
नहीं सुना था. जब वो विमान से उतर रही थी ति उसका चेहरा आँसुओं से पूरी तरह भीगा हुआ था, लेकिन जैसा कि चेक-इन डेस्क पर हुआ, उतरते हुए भी क्रू मेंबर्स के
चेहरों पर मुस्कुराहट थी.
इस बार अन्ना ने तय किया कि वह एयरपोर्ट से भाग निकलेगी, लेकिन जिस जगह
वो पहुँचे थे तो तकरीबन बस अड्डे जितना निकला. वहाँ उसका इंतज़ार रोमानिया
के दो अन्य नागरिक कर रहे थे.
उन दोनों में से मोटा दिख रहा शख्स बोला, "ये अच्छी दिख रही है."
तब जाकर अन्ना को अहसास हुआ कि उसे क्यों अगवा किया गया है. अन्ना बताती हैं, "मुझे तब पता चल गया था कि मैं बिकने जा रही हूँ."
वो
दोनों व्यक्ति उसे एक गंदे से फ्लैट में लेकर गए. कमरा
बदबू से भरा हुआ था
और शराब, सिगरेट और पसीने की गंध से महक रहा था. ड्राइंग रूम में बैठे
व्यक्ति सिगरेट और शराब पी रहे थे और टेबल पर रखे एक दर्जन से अधिक फ़ोन
लगातार घनघना रहे थे. लड़कियां कम कपड़ों में या लगभग नग्न ड्राइंग रूम से
सटे कमरों में आ-जा रही थीं.
फिर एक औरत ने कुछ पुरुषों की मदद से अन्ना के कपड़े जबरन उतरवा दिए और
अंडरवेयर में उनकी तस्वीरें उतारी ताकि इनका विज्ञापन इंटरनेट पर किया जा
सके. उसके कई नाम रखे गए. अब वो नतालिया, लारा, रशेल और रूबी थी और उसका
देश लात्विया, पोलैंड और हंगरी था.
उसे हज़ारों मर्दों के साथ सेक्स के लिए मजबूर किया ग
या. अन्ना ने कई
महीनों तक दिन की रोशनी नहीं देखी. उन्हें तब ही सोने की इजाज़त थी, जब कोई
ग्राहक न हो. ग्राहकों के आने का कोई वक्त नहीं था और एक दिन में इनकी
तादाद 20 तक होती थी. किसी-किसी दिन तो अन्ना को खाना भी नसीब नहीं होता था
और उसे ब्रेड या रोटी के टुकड़े पर ही गुजारा करना होता था.
खाना नहीं मिलने और नींद पूरी नहीं होने से
अन्ना का वज़न तेज़ी से गिरा और दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया था.
चार
महीने बीत चुके थे, तभी एक दिन फ्लैट पर पुलिस का छापा पड़ा और वहाँ मौजूद
सभी लड़कियों को गिरफ़्तार कर लिया गया. कमाल ये था कि जो लोग (मर्द और
औरतें) ये धंधा चला रहे थे, वो पुलिस के आने से पहले ही लैपटॉप और कैश लेकर
फरार हो चु
के थे. अन्ना हैरानी जताती हैं कि वो पुलिस के छापे के बारे में
पहले से कैसे जानते थे?
बहरहाल, अन्ना इस गिरफ़्तारी से ख़ुश थी.
उन्हें इस बात का पक्का यकीन था कि पुलिस ये मानेगी कि वे पीड़ित हैं,
लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी. गिरफ़्तार हुई चारों महिलाओं ने पूरी
रात हवालात में गुजारी. फिर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. ये महिलाएं जब
कोर्ट से बाहर निकल रही थी तो बाहर फिर एक कार दरवाजे खोले उनका इंतज़ार
कर रही थी.